वर्षों से काम कर रहे अनुबंधकर्मीयों को लगा बड़ा झटका
क्या वर्षों से काम कर रहे अनुबंधकर्मियो की सुनने वाला कोई नहीं…तभी तो सरकार से बाहर रहने वाली पार्टियां चुनावी मुद्दा बनाकर उसे भुनाने लगती है और सरकार बनते हीं वो नियमितिकरण के मुद्दे पर खामोश हो जाती है। ये किसी एक राज्य या विभाग का मुद्दा नहीं बल्कि पूरे देश का है जहां सभी सरकार कमोवेश युवाओं का शोषण कर रही है। सभी विभागों में अनुबंध कर्मी कार्यरत है, सरकार भी जानती है की अनुबंध कर्मियों के बिना कोई विभाग में कार्य संभव नहीं उसके वावजूद बिना किसी सुविधा के अल्प मानदेय पर सरकार 20 वर्षों से भी अधिक समय से कार्य ले रही है। और चाव अनुबंध कर्मी उसी वायदे को याद दिलाने के लिए आंदोलन पर उतरते हैं तो उनके सरकार के तरफ से मिलती है “लाठियां”. हाल ही में ऐसी घटना सहायक पुलिसकर्मी और पारा शिक्षक के साथ झारखंड में हुई है
ताजा मामला छत्तीसगढ़ का है जहां अनियमित कर्मचारियों को नियमितिकरण के लिए अभी इंतजार करना होगा। शासन स्तर पर नियमितिकरण को लेकर अभी कोई कार्ययोजना नहीं बनी है। विधानसभा में सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जानकारी दी है कि अभी संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण को लेकर कोई कार्ययोजना नहीं है। अभी तक किसी संविदाकर्मियों को नियमित भी नहीं किया गया है। विधानसभा में विधायक रामकुमार यादव और योगेश्वर राजू सिन्हा ने अनियमित कर्मचारियों का मुद्दा उठाया था। दोनों के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने यही जवाब दिया है। झारखंड में भले ही विपक्षी बीजेपी पार्टी अनुबंध कर्मियों के नियमितिकरण का भरोसा दिला रही है क्योंकि वो सरकार से बाहर है यही भरोसा हेमंत सोरेन भी विपक्ष में रहते अनुबंध कर्मियों को दिया था जिसपर कोई अमल नहीं होने पर सभी कर्मी आंदोलनरत हैं। अब देखने वाली बात ये होगी की भविष्य में बीजेपी की सरकार बनने पर क्या निर्णय लेती है।