पूर्व मंत्री बच्चा सिंह को राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई, पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़, सीएम ने जताया शोक

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूर्व मंत्री बच्चा सिंह के निधन पर शोक जताया है.

सीएम ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने पोस्ट में लिखा है कि ‘झारखंड सरकार में पूर्व मंत्री और झरिया विधानसभा के पूर्व विधायक आदरणीय श्री बच्चा सिंह जी के निधन के दुःखद समाचार मिला. वे हमेशा मजदूरों के हक और अधिकार की लड़ाई लड़ते रहे. परमात्मा दिवगंत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवारजनों को दुख की यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दे’.

बच्चा सिंह कोयलांचल के मसीहा कहे जाने वाले सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई थे. विक्रमा सिंह, सूर्यदेव सिंह, बच्चा सिंह, राजन सिंह और रामाधीर सिंह, इन पांचों भाइयों में बच्चा सिंह तीसरे स्थान पर थे. पूरे कोयलांचल में कभी सिंह मेंशन का दबदबा हुआ करता था लेकिन धीरे-धीरे सिंह मेंशन का कुनबा बिखरता गया. सूर्यदेव सिंह की मौत के बाद ही पूरा परिवार मानो तितर-बितर हो गया. सूर्यदेव सिंह 1977 से चार बार झरिया से विधायक रहे. सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह दो बार विधायक रहीं. सूर्यदेव सिंह के बेटे संजीव सिंह विधायक रहे. झरिया सीट से ही बच्चा सिंह भी विधायक रहे.
पूर्व मंत्री बच्चा सिंह को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. इस मौके पर धनबाद पुलिस की ओर से शोक सलामी दी गई. इस दौरान अंतिम दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा रहा. वाराणसी के घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

बच्चा सिंह का पार्थिव शरीर सरायढेला स्थित सूर्यदेव नगर आवास पहुंचते ही अंतिम दर्शन के लिए विभिन्न ट्रेड यूनियन और पार्टी के नेताओं का तांता लग गया.मौके पर विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह समेत परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे.

वहीं धनबाद पुलिस की ओर से शोक सलामी दी गई. इस दौरान प्रशासन के कई अधिकारी मौके पर मौजूद रहे. शोक सलामी के बाद उनके पार्थिव शरीर के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा रखा गया.

वाराणसी घाट पर किया जाएगा अंतिम संस्कार

मिली जानकारी के अनुसार उनका अंतिम संस्कार वाराणसी घाट पर किया जाएगा. अंतिम दर्शन के बाद परिवार के सभी सदस्य वाराणसी के लिए रवाना हो जाएंगे. वहीं पूर्व मंत्री बच्चा सिंह के निधन से उनके समर्थकों और मजदूरों में मायूसी है.

लंबे समय से बीमार से बच्चा सिंह

बताते चलें कि लंबे समय से बच्चा सिंह बीमार चल रहे थे. धनबाद से दिल्ली तक उनका इलाज कराया गया था. कुछ माह पहले ही उन्हें इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया था. उस वक्त वह बाथरूम से गिर गये थे. इसके बाद वो काफी बीमार चल रहे थे.

बाबूलाल की सरकार में मंत्री थे बच्चा सिंह

पूर्व मंत्री बच्चा सिंह झरिया से विधायक रह चुके थे. वह कभी सिंह मेंशन के स्तंभ हुआ करते थे. उन्होंने पहली बार विधानसभा का चुनाव साल 1991 में लड़ा था, लेकिन आबो देवी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 1995 में उन्होंने दोबारा झारखंड विधानसभा से अपनी किस्मत आजमायी, लेकिन फिर हार गए. साल 2000 में उन्होंने पहली बार जीत का स्वाद चखा और विधायक बने. इसके बाद उन्हें बाबूलाल मरांडी की सरकार में नगर विकास मंत्री बनाया गया था.

सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई थे बच्चा सिंह

पूर्व मंत्री बच्चा सिंह के बड़े भाई सूर्यदेव सिंह भी झारिया विधानसभा से विधायक रह चुके हैं. उन्होंने इस विधानसभा का लगातार चार बार प्रतिनिधित्व किया.1977 में वे पहली बार विधायक बने थे. उसके बाद 1990 तक वे विधायक रहे. एक बार उन्होंने आरा लोकसभा से भी किस्मत आजमाई थी, लेकिन परिणाम आने से पहले ही वह लोकसभा का चुनाव हार गए. इसके बाद बच्चा सिंह ने उसी सीट से साल 1991 में उप-चुनाव लड़ा था, लेकिन फिर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वर्तमान में झरिया सीट से पूर्णिमा नीरज सिंह विधायक हैं. बता दें कि इस सीट पर अधिकतर समय सिंह मेंशन परिवार का ही कब्जा रहा है.

मजदूरों की लड़ाई लड़ते थे बच्चा सिंह

झारखंड में बाबूलाल मरांडी की सरकार में बच्चा सिंह नगर विकास मंत्री रहे. बच्चा को मजदूरों की लड़ाई लड़ने के लिए जाना जाता था. वो हमेशा मजदूरों के लिए खड़े रहते थे. कोयलांचल के मजदूरों के मसीहा कहे जाने वाले दिवगंत सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई बच्चा सिंह पांच भाईयों में तीसरे नंबर पर थे.

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